निस्तब्ध अंधेरी रातों में
कोई मुझे पुकारता है
नजदीक आकर मेरे कानों में
….. फुसफुसाता है.
चलो उठो और मेरे साथ चलो
ऐसी जगह कोई दुख नहीं दर्द नहीं
मैं रखूंगा तुम्हें वैसे ही
जैसे एक पत्ती ओस की बूँद को.
वह मुझे बहलाता है
मेरे पास रहो मेरे साथ रहो.
वो नहीं जानता
वक्त नहीं है अब मेरे पास
मेरे मुरझाने का
मेरे जाने का वक्त
आ गया है।