तुम यहाँ नहीं हो…
फिर भी यहीं कहीं हो.
कुछ पढ़ते हुए..अपनी प्रिय कुर्सी पर
या कुछ लिखते हुए
शयनकक्ष में प्रतीक्षारत…
अपने होंठों का कोना चबाते हुए
तुम्हारी आँखों का भाव अभी भी मुझमें
जागा हुआ है…।
नहाते हुए जब पानी के गिरने की आवाज में
अहसास है… तुम हो.
नहा कर निकलते तुम्हारे जिस्म पर पानी की बूंदें
ठहरी हुई
या कि खाने की मेज पर
बैठे हुए
बिना किसी भाव के खाते हुए
आप ही आप मुस्कराते हुए…..
तुम जो मुझे छोड़ कर गये हो
मुझमें से नहीं गये हो
हर वक्त मुझमें ही रह गये हो
तुम यहाँ नहीं हो
फिर भी यहीं हो…
Nice creation 😃
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Thank you Astha ☺
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Most welcome 🙂
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