भूली हुई यादें,
..कहाँ छूटा साथ तुम्हारा,
वे स्वप्न संध्या ,वो नीरव चाँदनी,
राह में खड़ा हूँ,अभी भी,
कभी न जानोगे,तुम..!
तुम्हें जो घेरे खड़ा है,
वो, मैं ही हूँ…।
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भूली हुई यादें,
..कहाँ छूटा साथ तुम्हारा,
वे स्वप्न संध्या ,वो नीरव चाँदनी,
राह में खड़ा हूँ,अभी भी,
कभी न जानोगे,तुम..!
तुम्हें जो घेरे खड़ा है,
वो, मैं ही हूँ…।