अच्छी लड़कियों का अपना घर,
उनके पति का घर होता है।
अपने घर की बातें,अच्छी लड़कियाँ
दूसरों को नहीं बताती,
माँ की सीख याद है उसे…।
उसका अपना घर ही,उसके दर्दकासाक्षी है
सास का गुस्सा. पति के हाथों होता
उसके शरीर में फैल जाता है,
पोर- पोर टीसता है,और आँखों से निकलता है
आँसू बनकर…।
वो अच्छी लड़की नहीं बनना चाहती
वो चिल्लाती है, मैं अच्छी लड़की नहीं बनूगीं
उसकी चीख भी उसके आँसुओं की तरह
घुट कर रह जाती है, उसके अन्दर ,
और वो अच्छी लड़की बनी रहती है
ताउम्र …।
Another beauty
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Thanks for inspiration
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आपने बहुत ही अच्छा लिखा है।
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हौसला अफजाई का शुक्रिया😊😊😊😊😊
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