मुसव्विर तू कोई ऐसी तस्वीर बना।
कि जिसके रंग खिले भी हों और उदास भी
तेरे मुबारक हाथों की कुछ ऐसी तासीर हो
कि वो नाराज़ भी हों और मेहरबान भी।
मुसव्विर तू कोई ऐसी तस्वीर बना।
कि जिसके रंग खिले भी हों और उदास भी
तेरे मुबारक हाथों की कुछ ऐसी तासीर हो
कि वो नाराज़ भी हों और मेहरबान भी।