राह में मिलते हैं, हम रोज़ उनसे
न वो कुछ कहते हैं, न हम कुछ कहते हैं
फैसला करते हैं हर रोज़ घर जाके।
कल जो मिले तो,देखिए हम क्या क्या कहते हैं ।
आते हैं जब वो सामने,लग जाते हैं ज़बाँ पर ताले ,
गुज़र जाते हैं वो, हम कुछ न कहते हैं।
किस्मत से मिले वो जब तन्हा हमको
सोचते रह गये, अब कहते हैं,अब कहते हैं।