मैं तुम्हें चाहता हूँ ,
यह निश्छल प्रेम है
संवेदनाओं की छोटी सी फुहार है
तुमसे कुछ कहते,
नरमी और कोमलता आ जाती है
ये विकलता ये विवशता ,
तुम्हारे संग की कामना
प्रेम-निवेदन ।
आशा-निराशा में
डूबता-उतराता मन
प्रेम में सुख प्रेम का दुख
प्रेम में पगी मेरी प्रार्थना
अनजाने रिश्तों की कहानी
जो जिस्मानी भी है,रूहानी भी
हर दिन नयी-नयी लगती है
प्रेम असंभव को संभव बना देता है
अनुभूति इतनी प्रगाढ़ है
मौन भी बोलता सा लगता है ,
अपनी प्रखरता के साथ ..।।