मुद्दतों बाद ये राज़ खुला है मुझ पर,
किसी की आहटों पर धड़कता है मेरा भी दिल
तेजी से दौड़ता है लहू जिस्म में
धीमी और तेज हो जाती हैं धड़कनें दिल की
तुम्हारे आने से ,
गुज़र गया है पतझर मेरी जिन्दगी से
आगमन है बसन्त का
तन्हाई में रहने को जी चाहता है
गुम है दिल तुम्हारे ख़्यालों में
उदास आँखों में ख्वाब पलने लगे हैं
नींद नहीं आती आँखों में अब,
तुम जो रहने लगे हो
डरता हूँ आँख बन्द करते ही, तुम चले नजाओ
पर ये भी तो हो सकता है,
तुम दिल में उतर आओ।।।