उनको मेरे वादे पे एतबार तो आए
न मिले रोज़ मगर इक बार तो आएं
मुद्दत हुई है,उनसे मिले हुऐ
मरना भी है मंजूर, गर मेरी मय्यत में वो आऐं
गुमां था जिन्हें अपनी वफाओं पर बहुत
वो बावफा,इस बेवफा से मिलने इक बार तो आऐं
वो क्यूँ ख़फा है,मुझको इसकी ख़बर नहीं
सब्र पर मेरे ,यकीं उनको इक बार तो आए
ख्याले-ए-ख़ाम सही ,तेरी ही आरज़ू है हमें
उन्हें मंजूर नही है तो मना करने ही आऐं।।।
Wah wah wah…
Bhuuut achi..
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Thank you so much 😊
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