मेहरबाँ हैं तेरी यादें मुझ पर
अकसर तन्हाई में दिल मेरा बहलाती हैं
वो भीगी हुई आँखें वो जुदाई के पल
दूर तक कोई सदा नहीं आती है
कभी न आना अलविदा कहने
झूठी उम्मीद ही सही,
रोज़-ए- शब तेरा इन्तज़ार लिए आती है
तारीकियों का राज़ है,जहन्नुम है जि़न्दगी
तुम कहाँ, मैं कहाँ गर्दिश-ए-दौरा लिए आई है ज़िन्दग़ी।
झूठी उम्मीद ही सही…touching!!
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद☺☺☺
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद 😊😊😊
LikeLike