ख़ुमारी उसके इश्क की अभी भी है
लफ्ज़-ए-मुहब्बत का फसाना है ये, कि
शिकवे के साथ लगावट उससे अभी भी है
आँसूं तो बहुत हैं आँखों में लेकिन
दोस्ती के चलते अदावत उससे अभी भी है
तेरी ही निगाहों में जन्नत है मेरी
तुम्हारे चाहने की तमन्ना मुझमें अभी भी है
वो सर जो तेरे सजदे मे था कभी
वो नक्श-ए-ख़्याल दिल में अभी भी है…।
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने।
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धन्यवाद 😊😊😊
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क्या खूब लिखा है—-आँसूं तो बहुत हैं आँखों में लेकिन
दोस्ती के चलते अदावत उससे अभी भी है
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धन्यवाद 😊😊
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