ये भी क्या मुलाकात है यारा
मिलता हूँ, और उदास हो जाता हूँ
तेरी खामोशी बेसबब तो नही
तेरे आँसू अपनी आँखों में लिए चला आता हूँ
अपने वहशत का इल्म नहीं मुझ को
तेरे एहसास -ए-ग़म से बिखर जाता हूँ
इस खुदगर्ज दिल पे वश नहीं मेरा
बेअख्तियार तेरी तरफ खिचा चला जाता हूँ
इस कदर बेरुख़ी से न देख हमको
फ़कत दर पे तेरे ,सज़दा करने के लिए आता हूँ।
शानदार
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Thank you so much 😊😊😊
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Welcome….. 😍😊😊
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बहुत ही सुन्दर कविता—-इस कदर बेरुख़ी से न देख हमको
फ़कत दर पे तेरे ,सज़दा करने के लिए आता हूँ।
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बहुत बहुत धन्यवाद आपका 😊😊😊
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Lovely selection of words…
Lovely creation
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Thank you so much 😊😊😊
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It’s my pleasure
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