दिल में कोई रंज न करना
झोंका हूँ हवा का तेरे दरीचों से गुज़र जाऊँगा
तकदीर में अपने जुदाई है तो क्या
ये न सोच कि मैं वादे से मुकर जाऊँगा
मुन्तजि़र रहना तुम जान मेरी
सुर्खरू होके तेरे सामने मैं और निखर आऊँगा
यकीं रखना मेरी मुहब्बत पे यारा
मर भी गया तो रूह बनके सजदे में तेरे आऊँगा
👌👌👌
LikeLiked by 1 person
😊😊😊
LikeLike