ये तेरे इश्क की मेहरबानियाँ हैं
मेरे होंठों पे तबस्सुम अाखों में ख़्वाब हैं
वो मुझे दिलों जाँ से भी अज़ीज़ है
मेरी वफाएं मेरी दुआएँ उसके लिये हैं
मेरे ख़्वाबों में रहने वाले तू ही बता
तेरे ख़्वाबों में मेरा बसर है कि नहीं
मेरी यादों मेरे ख़्यालों में रहने वाले
बता मेरी दुआओं में असर है कि नहीं
तेरा तसव्वुर है मेरे जीने की वजह
फिर दिल के किसी कोने में ये टीससी क्यूँ उठती है
तू किसी रोज़ मुझसे बिछड़ जायेगा
सियाह रातों में ये अहसास डराते क्यूँ हैं
बात करते हैं तो जी चाहता है कह दूँ सब सच
इश्क़ अपना अपनी मिसाल आप होगा
उम्दा लेखन—-बहुत खूब।
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद ☺️☺️☺️☺️☺️
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Beautiful written poem! खूबसूरती से लिखित कविता
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Thank you so very much ☺️☺️☺️☺️☺️
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