इक मुलाक़ात बाक़ी है अभी
तुम्हारे वादे पे ऐतबार बाक़ी है अभी
वादियों में सोई हुई है चाँदनी
तुम्हारे आने का है,इन्तज़ार बाक़ी अभी
मेरे रहनुमा मेरे हमसफ़र मुझे भूल जाने की ज़िद न करो
इब्तदाए इश्क़ है इसे अंजाम बनाने की ज़िद न करो
मैं तो चला जाऊँगा तेरा यही फ़रमान है ,तो
इश्क़ करने वालों को तबाह करने की ज़िद न करो
ये सिफ़त न आई हमको
कि दिल में कोई और हो, आँखों में कोई और
एहसान तुम्हारा है
दगा करना भी तुमने सिखा दिया।
Bahut badhiya….👌👌👌
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद☺️☺️☺️☺️☺️
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वाह
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Thanks a lot😊😊😊😊
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