ज़रा देख ओ बेख़बर इश्क़ में
मैं तुझसा रहनुमा चाहता हूँ
अगर ये जुर्म है तो जुर्म सही,
मैं ये जुर्म करना चाहता हूँ
तेरी मदहोश आँखों की क़सम गर ये ख़ता है
तो इस ख़ता की सज़ा चाहता हूँ
बेख़ुद हैं हम तू सुन तो सही
तुझसे अर्ज़ ए वफ़ा चाहता हूँ
जिसने बरबाद किया है मुझको
उसी से फ़रियाद करना चाहता हूँ
जिसने दिया मेरे क़त्ल का फ़रमान
उसी नरगिसे-मखमूर को आबाद करना चाहता हूँ
Wah bahut khub …lajwab likha hai..
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद😊😊😊😊😊
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उसकी सांसों में मेरी मोहब्बत को पनहा मिल जाए
ए जिंदगी मुझको जीने की वजह मिल जाए
#शालिनी
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वाह क्या बात है👍👍👍
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