छुप-छुप के देखना वो तेरा
मेरा नज़रें झुका लेना
याद है मुझको गुज़रना तेरा
अनजान होके।
और पलट केआना यूँ ही
जैसे कि कुछ भूल गया हो
ख़ामोशी की भी ज़ुबान हुआ करती है,
ये शायद तुम्हें भूल गया होगा
वरना मैंने कुछ कहा भी नहीं
तुमने सुना कैसे
लफ़्ज़ जो बोले ही नहीं फिर भी
दिल में तू उतर गया कैसे
सब कहती सुंदर
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Thank you so much 😊
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