मैं क्यों गिला करूँ तुमसे
ये हक़ तुम्हारा है, तुम किसे आबाद करो
मेरी मुहब्बत मेरी इबादत मेरी बेताबियां
मेरा मसला है,तुमसे क्यों शिकायत हो मुझे
मेरे दिल में घर करने वाले
ये हक़ तुम्हारा है,तुम किसे शाद करो
मेरी तन्हाइयां मेरी रुसवाइयां मेरी चाहतों का कारवाँ
मेरी हसरतों की दुनिया कभी ,कहीं किसी वक़्त
किसी राह पर किसी मोड़ पर
तुम मेरा नाम शायद याद करो।
bahut khub likha hai.
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Thank you so much 😊
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All your poems are Awesome!
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Thank you so much for your support and encouragement 😊😊😊😊😊
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It’s my pleasure reading them
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Thanks 🙏 😊😊😊😊😊
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बहुत प्यारी नज़्म है।छ
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Thank you so much 😊
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Most welcome,dear!!
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😊😊😊😊😊
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