सर्द आहें तुम्हारी, मेरी रूह में उतर आती हैं
तन्हाइयों में जाने किसकी आहट सुनता हूँ
दिल फिर और भी उदास हो जाता है
वक़्त के हर लम्हें में तुम मेरे साथ हो
शाम-ओ-सहर रात और दिन
इक-इक लम्हा
यादों में ढूँढता हूँ बीते हुये लम्हें
वक़्त के ग़ुबार में खोये हुये लम्हात हैं
👌👌👌
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Thank you so much 😊 😊😊😊
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