ज़िन्दगी खोई तो नहीं फिर भी कहीं खोई तो है
सर्द रातों में जो आती है,सदा मुझ तक
मेरे लिये कही ,कोई तो है
उसके लिये मैं जागा हूँ देर तक
शबनम मेरे प्यार की सुबह तक रोई तो है
जब ज़िन्दगी की ज़िन्दगी से मुलाक़ात होगी
जज़्बातों से मुकम्मल हमारी हरइक बात तो होगी
ख़्वाबों से गुज़र कर जो आया है, ज़मीं पर
मेरे ख़्यालों में रहने वाला ये वोई तो है