बारिशों के मौसम में ख़्वाहिशों की रिमझिम में
आरज़ू है तेरे दीदार की
ये सरसराहट है तेरे पैरहन की या
हवा है तेरे दयार की
वस्ल की ख़्वाहिशों में ठहरी है चाँदनी
या ख़लिश है तेरे इन्तज़ार की
यादों के पन्ने से निकल के आ ज़रा
हालत बुरी है दिले बेक़रार की
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👌👌
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🙏🙏🙏😊😊😊
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