तेरे वादे पे एतबार करके
तेरे आने का इन्तज़ार करके
जागा हूँ रात भर मैं
तन्हाई के आलम में ,चाँद की किरणों में
जो चेहरा नज़र आया
कभी धुँधला कभी उजला
वो नक़्श भी तेरा था ,ख्याल भी तेरा था
सहर तक तेरा इन्तज़ार करके
जागा हूँ रात भर मैं
मेरा इम्तिहान ले ले या मुझ पे रहम कर दे
ज़रा मेहरबाँ तो हो कुछ वादे का भरम रख ले
ख़ातिर तेरी नज़रें करम के
जागा हूँ रात भर मैं
जो दिल के क़रीब होते हैं
मिलते हैं नसीब से वो
रूह में बस के न दूर जा नज़र से
फ़क़त तेरी इक झलक के
जागा हूँ रात भर मैं ..,, ।
khubsurat rachna.
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आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏😊😊😊
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