बूझती है रात ,कहाँ हो तुम
सोया जागा सा दिल में दर्द है
रात भी कितनी सर्द है
चाँद भी हँसता है तन्हाई पर मेरी
पूछता है कहाँ है , वो
जिसकी बातें हर रात करते थे मुझसे
बरखा की पहली फुहार सा वो प्यार तुम्हारा
क्या रूठा है तुझसे
लम्हा लम्हा तन्हाई का ,रात का जादू शहनाई सा
चाँद सितारे ये नज़ारे
मुन्तज़िर हैं तेरे सारे
Badhiya
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Thank you so much 😊
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