वो मेरा इक ख़्याल है
ख़्यालों में आता जाता है
सोता जागता है
और थोड़ा सा वक़्त गुज़ार कर चल देता है
मैं चाहता हूँ रोक लूँ कुछ देर और उसको
ठहरता नहीं है सुनता नहीं है
बोलता नहीं कुछ कहता भी नहीं
छोड़ जाता है अपने पीछे
बहुत सारे ख़्याल
मैं रहता हूँ उन्हीं ख़्यालों में
सोता हूँ जागता हूँ
ढेरों ख़्वाब बुनता हूँ उसी के ख़्याल में
वो मेरा एक ख़्याल ही तो है ।
After so long , reading Hindi poetry and now I want write in Hindi , once again. Ha ha . Thanks for rekindling fire in me.
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Thank you so much 😊 and good luck 👍👍👍
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