ख़ता तो कोई नहीं फिर भी खतावार हूँ मैं
तेरी आँखों में आँसू देख नहीं सकता
उन गुनाहों के इल्ज़ाम मंज़ूर मुझे
जो गुनाह मैं कर नहीं सकता
पुकारती हैं वो राहें फिरभी मुझे
जिन राहों से मैं गुज़र नहीं सकता
आके देख ,कितना तन्हा हूँ मैं
अब एक और इश्क़ मैं कर नहीं सकता ।
ज़िन्दा हूँ मगर फिर भी
तेरे बग़ैर ज़िन्दगी मैं जी नहीं सकता ।
Waah….Bahut badhiya.
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Thank you so much 😊
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