आज फिर मैंने दरख़्तों पर तुम्हारा नाम लिखा है
भीगे भीगे मौसम ने फिर तुम्हें याद किया है
फिर तन्हाई ने जगाये ख़्वाब पुराने
फिर तेरी याद आयी है ज़ख़्मों को सहलाने
फिर वादियों में गूँजे हैं तेरे प्यार के नग़मे
और फिर उभरे हैं वही ज़ख़्म पुराने
तेरी ही याद में डूबी है वादियाँ
हवाओं में हैं आज भी वही तेरे मेरे तराने
दिल ढूँढता है तुम्हें इन्हीं दरख़्तों की छांव में
फिर मैंने दरख़्तों पर तुम्हारा नाम लिखा है
Khubsurat kavita…..Yaden kab mitati hain.
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Thank you so much 😊
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Shandaar 😍 in love with your thoughts
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Thank you so much 😊
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