तेरा ख़्याल कुछ इस तरह सुलग उठा
मुद्दतों से दबी राख में चिंगारी भड़क उठे
तेरा नाम भी लूँ जो मैं कभी
सासों में मेरे मोगरे कितने महक उठे
कहाँ कहाँ से गुज़रा हूँ मैं तेरी यादों के दरमियाँ
तेरा अक्स दिल में मेरे साथ साथ चला करे
तनहा चलूँ कि भीड़ हो
तेरा नाम ही मैं लिखा करूँ
सजदे करूँ जो कभी भी मैं
तेरे लिये ही दुआ करूँ
बेहतरीन वर्णन
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Thank you so much 😊
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