वही दिन है
वो ही वक़्त है
जब मेरी गोद में
नन्हीं सी कली
खिली थी
सितारों सी चमकती आँखें
प्यारी सी मुस्कान
होंठों पे खिली थी
नन्हें हाथों में पकड़ी हुई
मेरी उँगली ,उजली उजली
सोई हुई गोदी में
नन्हीं सी परी मेरी
मेरे दिल की छोटी सी
अरमानों की कली थी
पल पल पलती मेरी
आँखों में
चलती बढ़ती मेरी
हाथों में
साथ रही मेरे
पास रही मेरे
हर मोड़ पे
हर राह में ढाल बनी मेरी
लड़ती झगड़ती
हरेक से मेरी ख़ातिर
कोई कुछ बोले न
कोई कुछ सोचे न
मैं साथ हूँ मैं पास हूँ
ये माँ है मेरी ।
बहुत सुन्दर कविता लिखी है जी आपने।
LikeLiked by 1 person
Thank you so much 😊
LikeLike
Nice words dear
LikeLiked by 1 person
Thank you so much 😊
LikeLike