याद आने की कोई वजह नहीं होती
अकसर यों ही चली आती हैं यादें
न खिड़की न दरवाज़ा
रूकती नहीं हैं
किसी के रोके
कभी मुस्कुराहट कभी छलकी हुई आँखें
बता देती हैं
कैसे हैं यादों के मौसम
भीगे हुए हैं या ख़ुशियों से भरे पल है
ये यादें बड़ी बेरहम भी होती हैं
दिल के ज़ख़्मों को
कुरेदती है
जब तक दिल ख़ून ख़ून न हो जाये
ख़ुशियों से भरी हों
दिल ग़म से भरा हो
यादें है बेसाख़्ता चली आती हैं
बिना वजह
wow… wonderful composition.
https://alifelessordinarywithsaurabhavna.com/2018/10/02/stunning-indian-outfit-ideas-for-this-festive-season-look1/
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Thank you so much 😊
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बहुत सुंदर….!!!!
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Thank you so much 😊
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