नासूर… October 29, 2018 angirablog मुहब्बत के ज़ख़्म टीस बन के दिल में रहते है ज़रूरी तो नहीं हर ज़ख़्म आँसुओं का मोहताज हो कुछ नासूर बन के भी बहते है Share this:TwitterFacebookLike this:Like Loading...