पुराणों के अनुसार कण्व राजवंश के अंतिम शासक सुशरमा को मारकर आँध्र जातीय सेवक ने सातवाहन शासन की स्थापना की थी जिसका नाम सिमुक था संभवत ये घटना प्रथम शताब्दी ई० पू० के अंतिम भाग में हुई थी ।
सिमुक के बाद कृष्ण सातवाहन राज्य का शासक बना जिसने अपना राज्य नासिक तक बढ़ा लिया था तदुपरान्त कृष्ण का पुत्र शातकरणि प्रथम राजा बना
शातकरणि की मृत्यु उपरान्त उसकी रानी नागनिका ने शासन किया क्योंकि उसके पुत्र अल्पवयस्क थे जिनमें से एक पुत्र की मृत्यु बालपन में ही हो गयी थी दूसरे ने कुछ समय तक ही शासन किया ।
सातवाहन राजवंश को शातकरणि प्रथम की मृत्यु के बाद से गौतमीपुत्र शातकरणि के राजा बनने के बीच शकों के आक्रमण के कारण काफ़ी संकटों का सामना करना पड़ा ।
गौतमी पुत्र शातकरणि वीर तथा कुशल सेनानायक था अपनी आंतरिक स्थिति मज़बूत करने के कुछ वर्षों बाद उसका प्रथम युद्ध विदर्भ के विरुद्ध हुआ जिसमें वह विजयी हुआ ।
तत्पश्चात उसने शक क्षत्रप नहपान के राज्य पर आक्रमण किया भीषण युद्ध में नहपान हार गया यह युद्ध गौतमी पुत्र शातकरणि ने अपने शासन के १८वें वर्ष में जीता था ,उसे सातवाहन कुल की प्रतिष्ठा को स्थापित करने वाला घोषित किया गया ।
गौतमी पुत्र शातकरणि महान योद्धा कुशल सेनानायक साम्राज्य विस्तार वादी नरेश माना जाता है
उसका शासन काल (१०६ ई०से १३०ई०) तक माना जाता है वह महान विजेता होने के साथ कुशल प्रशासक भी था ।
उसे अपने जीवन के अंतिम वर्षों में कर्दमक शकों से युद्ध में पराजय का सामना करना पड़ा उसकी मृत्यु १३०ई० में हुई ।
गौतमी पुत्र शातकरणि के बाद उसका पुत्र वाशिष्ठी पुत्र पुलुमावि राजा बना वहअपने पिता की तरह पराक्रमी था परन्तु क्षत्रपों के साथ हुये युद्ध में उसे नर्मदा का उत्तरी भाग छोड़ना पड़ा ,जिसकी भरपाई उसने कुन्तल राज्य जीतकर की और वहाँ की राजकुमारी सेविवाह किया ।
उसके बाद शिव श्री शातकरणि राजा हुआ इसने सात वर्ष शासन किया ।
इसके बाद यज्ञश्री शातकरणि ने शासन संभाला जो २७ वर्ष तक रहा ,सातवाहन राजवंश का अंतिम राजा था जो महान शासक माना जाता है ।