पुलकेशिन द्वितीय भारत के महानतम सम्राटों में से था जिसने चालुक्य राज्य को अपने बाहुबल और पराक्रम से विन्ध्य क्षेत्र से दक्षिण भारत में कावेरी नदी के तट तक फैलाकर अपने दक्षिणापथेश्वर की उपाधि को सार्थक किया । ३२ वर्ष के अपने शासनकाल में पुलकेशिन द्वितीय ने शासन संगठन के साथ साथ सफलता पूर्वक अन्य राज्यों से मैत्री पूर्ण राजनयिक और व्यापारिक संम्बध भी स्थापित किये ।
पुलकेशिन द्वितीय की मृत्यु के बाद चालुक्य राज कुछ समय तक संकट से घिरा रहा ,साम्राज्य के अधीनस्थ राजाओं ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी यहाँ तक कि पुलकेशिन द्वितीय के दो पुत्रों ने भी जो राजप्रतिनिधि के रूप में शासन कर रहे थे उन्होंने भी अपनी स्वतंत्र राज्य की घोषणा कर दी ।
पुलकेशिन द्वितीय के अन्य पुत्र विक्रमादित्य ने अपने नाना गंग नरेश दुरविनीत की सहायता से राजसिंहासन प्राप्त किया और अपने पिता के साम्राज्य की एकता को पुन: स्थापित करने का प्रयास किया पल्लव नरेश नरसिंह वर्मन को पराजित कर अपनी राजधानी बादामी को मुक्त करा लिया ।
चोल ,पाण्डयऔर केरल प्रदेशों के राजाओं ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी थी ,विक्रमादित्य ने उन्हें बल पूर्वक दबाकर पुन: अपने अधीन कर लिया । विक्रमादित्य ने अपने पिता द्वारा विजित सभी राज्यों को फिर से जीत कर अपनी स्थिति सुदृढ़ कर ली ।
अब उसने अपने पिता की हत्या का बदला लेने के लिये पल्लवों के विरुद्ध अभियान शुरू किया ।
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Thank you so much 😊
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