चालुक्य सम्राट पुलकेशिन द्वितीय ने सम्पूर्ण दक्षिण पर अपनी विजयपताका फहराई और विशाल चालुक्य साम्राज्य को स्थापित किया ।उसके छोटे भाई विष्णु वर्धन ने लगातार उसका सहयोग किया अत: सम्राट ने उसे पूर्वी दक्षिण प्रदेश का शासन सौंप दिया ।
विष्णु वर्धन ने वेंगी को अपनी राजधानी बनाकर स्वतन्त्र चालुक्य वंश की स्थापना की ,वह पराक्रमी तथा कुशल सेनापति था उसने कई कठिन दुर्गो को भी विजित किया था । बह एक योग्य शासक था ।
उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र जयसिंह राजा बना ।पुलकेशिन द्वितीय तथा विष्णु वर्धन के पश्चात जयसिंह ने वातापि के चालुक्यों से सम्बन्ध बनाये रखने का प्रयत्न नहीं किया ।
उसके उपरान्त इन्द्र वर्मन वेंगी का राजा बना उसका शासनकाल बहुत छोटा रहा ।
उसके बाद विष्णु वर्धन द्वितीय का शासन काल भी अधिक नहीं रहा ,तत्पश्चात विजय सिद्धि ,जयसिंह द्वितीय ,विष्णु वर्धन तृतीय ,विजयादित्य प्रथम तथा विष्णु वर्धन चतुर्थ ने शासन किया ।
तत्पश्चात विजयादित्य द्वितीय ने शासन संभाला परन्तु उसके भाई भीमसालुकि ने विद्रोह कर सिंहासन पर अधिकार कर लिया ।परन्तु विजयादित्य ने अपने भाई को पराजित कर सिंहासन पर पुन:अधिकार कर लिया और अपने राज्य को सुदृढ़ बनाया ।
विजयादित्य के बाद उसका पुत्र विष्णु वर्धन पंचम राजा बना ,वह सिंहासन पर बहुत कम समय तक रहा तत्पश्चात उसका पुत्र विजयादित्य तृतीय ने शासन संभाला ,वो महत्वाकांक्षी और रणकौशल में पारंगत था उसने पल्लवों और पाण्डयों के विरुद्ध युद्ध किये, उसने पाण्डयों को पराजित किया तथा पल्लवों को भी परास्त किया और उनसे अनेक बहुमूल्य रत्न औरधन की प्राप्ति की । उसने चेदि और राष्ट्र कूटों को भी पराजित किया वेंगी के चालुक्य शासकों में विजयादित्य तृतीय महान शासक था ।
तत्पश्चात भीम प्रथम ने ‘जो विजयादित्य तृतीय के भाई का पुत्र था ‘ राजगद्दी प्राप्त की उसे सिंहासन पर बैठे कुछ ही समय हुआ था कि राष्ट्र कूट नरेश कृष्ण द्वितीय ने उस पर आक्रमण करउसेपराजित किया तथा उसे बन्दी बना लिया । परन्तु कुछ समय बाद उसे मुक्त कर दिया ।भीम ने मुक्त होकर अपनी सैनिक क्षमता बढ़ाई और कृष्ण द्वितीय आक्रमण कर उसे परास्त करअपनी हार का बदला लिया ।
इसके बाद विजयादित्य चतुर्थ, विजयादित्य पंचम ,विक्रमादित्य द्वितीय ,भीम द्वितीय ने भी शासन संभाला परन्तु उनके शासनकाल में कुछ उल्लेखनीय नहीं रहा ।
जब कुलोतुंग चोल वेंगी का शासक बना उसके कुछ समय पश्चात ही वेगी का चालुक्य वंश चोल साम्राज्य में समाहित हो गया ।
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