कृष्ण द्वितीय के जीवनकाल में ही उसके पुत्र जगतुंग की मृत्यु हो गयी थी इसलिये कृष्ण द्वितीय के बाद उसका पौत्र इन्द्र तृतीय सिंहासन का उत्तराधिकारी बना ।
इन्द्र को राजा बने कुछ समय ही हुआ था कि परमार शासक उपेन्द्र ने राष्ट्र कूट के गोवर्धन दुर्ग पर अधिकार कर लिया । परन्तु इन्द्र तृतीय ने उपेन्द्र को पराजित कर दुर्ग पर पुन: अधिकार कर लिया ।
प्रतिहार नरेश महेन्द्र पाल की मृत्यु के बाद उनके पुत्रों में भोज द्वितीय और महीपाल के बीच उत्तराधिकार के लिये युद्ध छिड़ गया ,जिसमें भोज विजयी होकर राजगद्दी पर आसीन हुआ । परन्तु महीपाल ने चन्देल नरेश हर्ष की सहायता से भोज को हटा कर राजगद्दी हथिया ली और राजा बन बैठा ।
प्रतिहार नरेश की शह पर परमार शासक उपेन्द्र द्वारा गोवर्धन पर किये आक्रमण से इन्द्र तृतीय बेहद नाराज़ था ,अत:उसने महीपाल के विरूद्ध युद्ध का निर्णय किया ।
युद्ध की घोषणा सुनकर महीपाल भयभीत होकर बिना युद्ध किये ही चन्देल राजा हर्ष की शरण में चला गया ,इन्द्र तृतीय ने उसके राज्य कन्नौज पर अधिकार कर लिया ।
तत्पश्चात उसने वेंगी राज्य पर आक्रमण किया जिसमें वेंगी राजा मारा गया और वेंगी राज्य के कुछ क्षेत्रों पर इन्द्र तृतीय का अधिकार हो गया ।
जिससमय इन्द्र तृतीय उत्तरी भारत के युद्ध में लगा था तब उसके सेनानायक श्रीविजय ने राष्ट्र कूट विरोधी राज्यों पर विजयी हुआ ।
इन्द्र तृतीय ने लगभग चौदह वर्ष तक शासन किया और उसने राष्ट्र कूट राजवंश को फिर सम्मान जनक स्थान दिया । उसने महाराजाधिराज ,नित्य वर्ष ,परमेश्वर आदि उपाधियों को धारण किया ।
Very good 😊😊😊
LikeLiked by 1 person
Thank you so much 😊
LikeLike