तैलप द्वितीय के दो पुत्र थे ,उसने अपने बड़े पुत्र सत्याश्रय
को अपने जीवन काल में ही युवराज बना दिया था और छोटे पुत्र दशवरमन को किसी प्रान्त का प्रान्त पति नियुक्त कर दिया था ।
अपने युवराज बनने के बाद सत्याश्रय ने अपने पिता के साथ कई युद्धों में भाग लिया था ,वह एक कुशल योद्धा था ।तैलप द्वितीय के बाद सत्याश्रय ने सिंहासन प्राप्त किया ,उसने कुछ दिनों बाद ही कोंकण राज्य पर आक्रमण किया और वहाँ के राजा अपराजित को हरा कर अधीन बनाया तत्पश्चात गुर्जर राज्य परभी आक्रमण किया और गुर्जर राजा चामुण्ड राय को भी जीत लिया ।
जब सत्याश्रय युद्ध में व्यस्त था तो परमार शासक सिन्धुराज जो मुंज का छोटा भाई था उसने तैलप द्वितीय द्वारा जीते गये सभी परमार क्षेत्र पुन: वापस जीत लिये ।
चोल शासक राजराज चोल ने वेंगी के राजा दानारणव की हत्या करने वाले तेलुगु जटाचोड को वेंगी सिंहासन से हटा कर दानारणव के पुत्र शक्ति वरमन प्रथम को वेंगी का राजा बनाया और अपना सैन्य शिविर भी वेंगी में स्थापित किया ।
इस पर अप्रसन्न होकर सत्याश्रय ने वेंगी राज्य पर आक्रमण कर वहाँ के कुछ इलाक़ों को जीत लिया ।इस पर चोल नरेश राजराज चोल ने अपने पुत्र राजेन्द्र चोल को सीधे सत्याश्रय की राजधानी पर आक्रमण करने का आदेश दिया ।राजेन्द्र चोल ने सत्याश्रय की राजधानी पर आक्रमण कर उसे जीत लिया तथा लूटमार की और निर्दोष जनता की हत्यायें भी की ।
परन्तु सत्याश्रय ने अपनी शक्ति पुन: इकट्ठा की और अपने प्रदेशों को पुन: चोलों के अधिकार से वापस जीत लिये उसने चोल सैनिकों को तुंग भद्रा के दक्षिणी क्षेत्र तक पीछे हटा दिया ।
उसका शासनकाल लगभग ग्यारह वर्षों तक रहा ।
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