सोमेश्वर प्रथम की मृत्यु के उपरान्त उसका बड़ा पुत्र सोमेश्वर द्वितीय राजगद्दी पर बैठा ,उसने अपने छोटे भाई विक्रमादित्य षष्ठ को गंगवाडी प्रदेश का शासक बना दिया ।परन्तु विक्रमादित्य स्वयं राजगद्दी पाना चाहता था अत:उसने राजगद्दी पाने के लिये चोल नरेश वीर राजेन्द्र की पुत्री से विवाह किया ,वीर राजेन्द्र ने अपनी पुत्री के पति विक्रमादित्य षष्ठ को राजगद्दी दिलाने हेतु सोमेश्वर द्वितीय पर आक्रमण कर दिया और चालुक्य राज्य की गुटटी को घेरकर कम्पिलनगर को नष्ट कर दिया ।
परन्तु कुछ समय पश्चात सोमेश्वर द्वितीय ने वीर राजेन्द्र को दक्षिणी कर्नाटक के बाहर निकाल दिया ।
पर थोड़े समय बाद वीर राजेन्द्र की मृत्यु हो गयी जिससे विक्रमादित्य संकटों से घिर गया ,एक तरफ़ उस पर अपने भाई सोमेश्वर द्वितीय का दवाब और दूसरी ओर अपने साले अधि राजेन्द्र की राजगद्दी को सुरक्षित रखने का दवाब ।
वेंगी नरेश कुलोतुंग की सहायता लेकर सोमेश्वर द्वितीय ने विक्रमादित्य और उसके समर्थकों पर आक्रमण कर दिया दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ ।इस युद्ध में विक्रमादित्य की सेना ने सोमेश्वर द्वितीय को बंदी बना लिया । इस तरह विक्रमादित्य षष्ठ ने कल्याणी का राजसिंहासन प्राप्त किया अपने राज्याभिषेक के समय उसने चालुक्य विक्रम संवत नाम का नया संवत चलाया ।अपने भाई सोमेश्वर को उसने आजीवन बंदीगृह में ही रखा ।
Very good post 😊😊😊
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Thank you so much 😊
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