विक्रमादित्य षष्ठ के बाद उसका पुत्र सोमेश्वर तृतीय राजगद्दी पर बैठा ,वह कोमल स्वभाव का शान्तिप्रिय शासक था ।
सोमेश्वर तृतीय के शासन काल में होयसल नरेश विष्णु वर्धन ने बल पूर्वक चालुक्य राज्य के नोलम्बवाडी ,वनवासी तथा हंगल क्षेत्रों में अपनी सत्ता का विस्तार शुरू कर दिया ।
सोमेश्वर से चोल नरेश कुलोतुंग ने आन्ध्र प्रदेश को जीत लिया परन्तु चालुक्यो ने उसे पुन:प्राप्त कर लिया ।
सोमेश्वर विद्वान था तथाउसे शिल्प शास्रज्ञ भी कहा जाता है।
सोमेश्वर तृतीय के बाद उसका पुत्र जगदेवमल्ल राजा बना ,उसके शासन काल में भी कुछ सामन्तों ने विद्रोह किया और अपने को स्वतन्त्र मानने लगे परन्तु जगदेव मल्ल ने उनके विद्रोह का दमन किया । होयसल राजा विष्णु वर्धन ने राज्य विस्तार का कार्य जगदेव मल्ल के शासन में भी जारी रखा ।
जगदेव मल्ल का शासन काल ११३८ से११५१ ई० तक रहा ।
जगदेव मल्ल के बाद उसका छोटा भाई तैलप तृतीय राजा बना उसके समय में होयसल ,काकतीय ,कलचुरि तथा यादव वंशीय सामन्त काफ़ी शक्ति शाली हो गये थे ,उन्हें क़ाबू में रखना तैलप के लिये बहुत कठिन था । कलचुरि के सामन्त ने ११५७ ई० में चालुक्य राज्य पर अधिकार कर लिया । उसने और उसके वंशजों ने ११८१ तक राज्य किया । परन्तु तैलप तृतीय के पुत्र सोमेश्वर चतुर्थ ने तत्कालीन कलचुरि शासक आहवमल्ल को परास्त कर कल्याणी पर अधिकार कर लिया ।
उसने कुछ दिनों तक ही शासन किया तभी ११८९ ई० में यादव वंशी भिल्लम ने सोमेश्वर से उत्तरी चालुक्य प्रदेशों को जीत लिया ।उधर होयसल नरेश बल्लाल द्वितीय ने तथा काकतीय राजा रुद्र ने भी विद्रोहों और आक्रमण के फलस्वरूप ११८९ ई० में चालुक्य प्रदेशों को अपने अपने राज्य में मिला लिया ।
सोमेश्वर तथा उसके सेनापति ब्रह्म को बल्लाल द्वितीय ने कई लड़ाइयों में हराया ,अन्तिम लड़ाई ११९० ई० में हुई सोमेश्वर की हार के साथ चालुक्य राजवंश का अंत हो गया ।
Excellent post 👍👍👍
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Thank you so much 😊
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Nice hisorikal information
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Thank you so much😊
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