राजेंद्र द्वितीय ने अपने भाई राजाधिराज की मृत्यु का बदला लेने के लिए चालुक्य राज्य पर हमला कर वहां के शासक सोमेश्वर को पराजित कर समर भूमि में ही अपना वीराभिषेक कराया।
परन्तु सोमेश्वर प्रथम ने चोल शासित गंगवाड़ी राज्य पर तथा वेंगी पर अपना आधिपत्य बनाने के लिये सेनापति चामुण्डराज के नेतृत्व में चालुक्य सेना को भेजा, चोलों ने वेंगी राज्य को जीतकर चालुक्य सेनापति चामुण्डराज और वेंगी नरेश शक्तिवर्मन का वध कर दिया।
राजेंद्र द्वितीय ने सिंहल राज्य के चोलों के विरुद्ध विद्रोह का दमन कर सिंहल राज्य के अधिकांश भागों को चोल साम्राज्य में मिला लिया।
गंगवाड़ी से चालुक्य आक्रमणकारियों को खदेड़ दिया गया।
कुछ समय पश्चात संभवतः1063में चोल युवराज महेन्द्र की मृत्यु हो गई ,और कुछ दिन बाद राजेंद्र द्वितीय की भी मृत्यु हो गई।
अब चोल राजगद्दी पर वीर राजेंद्र आसीन हुआ।