काकतीय राजवंश का प्रथम शासक बेत प्रथम था जो कल्याणी के पश्चिमी चालुक्यों का सामन्त था,उसके बाद प्रोल प्रथम हुआ जिसने चालुक्यों के विरोधी अनेक राजाओं को पराजित किया। प्रसन्न होकर चालुक्य नरेश सोमेश्वर प्रथम ने उसे अनुमकोंड राज्य का शासक बना दिया।
तत्पश्चात बेत द्वितीय, दुर्गनृपति हुये जिन्होंने अपने राजा के प्रति निष्ठा बनाये रखी
प्रोल द्वितीय ने जब शासन संभाला तो उसने तैलप तृतीय जो सोमेश्वर तृतीय का पुत्र था उसे पराजित किया और अपना विजयी ध्वज गोदावरी तथा कृष्णा नदियों के मध्य के भूक्षेत्र पर फहरा दिया।
प्रोल द्वितीय के बाद उसका पुत्र रूद्रदेव सिहांसन पर बैठा।रुद्रदेव ने वेंगी राज्य पर आक्रमण कर उस राज्य के काफी क्षेत्र को अपने राज्य में मिला लिया।1773 तक चोलों की शक्ति का लगभग समाप्त हो चली थी जिसका लाभ उठाकर रुद्रदेव ने उन्हें पराजित कर अपना सामन्त बना लिया। रुद्रदेव ने कृष्णा नदी के उत्तरी एवं दक्षिणी तटों के सामन्त शासकों को भी परास्त कर दिया और अपने राज्य का विस्तार किया।
यादव नरेश जैतुगी के साथ युद्ध में रुद्रदेव मारा गया।
रुद्रदेव के पश्चात महादेव काकतीय राजवंश का उत्तराधिकारी हुआ,परन्तु उसका शासन भी ज्यादा दिनों तक नहीं रहा ,वह भी यादवों के साथ युद्ध करता हुआ वीरगति को प्राप्त हुआ।
महादेव का उत्तराधिकारी गणपति देव युद्ध में बंदी बना लिया गया।
देवताओं, राजाओं, राज्यों की शक्ति के लिए युद्ध। एक अच्छी तरह से संरचित कहानी जिसे पढ़ा जा सकता है। इस तरह की रीडिंग भारत के इतिहास के बारे में अधिक जानकारी देती है।
LikeLiked by 1 person
Thank you so much 🙏🙏🙏
Wow you know Hindi… Really nice to know that and happy to hear such a lovely comment 😊 Thanks again 👍
LikeLiked by 1 person