समाजवाद के सबसे बड़े चिंतक Karl Marx का जन्म जर्मनी के राइन प्रदेश के ट्रियर(trier) के एक यहूदी परिवार में हुआ था।धर्म में उनकी बिल्कुल भी आस्था नही थी।उन्होंने बान विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की,वो विश्वविद्यालय में प्राध्यापक बनना चाहते थे परन्तु असफल रहे।वे दार्शनिक। हीगल से प्रभावित थे,उन्होंने यूनानी दर्शन में डाक्टर की उपाधि प्राप्त की थी । वो राइन प्रदेश में एक अखबार के संपादक बन गये।1843 में एक आस्थावान समाजवादी के रुप में वे पेरिस पहुंचे, वहां उनकी मुलाकात फ्रैड्रिक ऐंगल्स से हुई वे दोनों घनिष्ठ मित्र बन गए।फ्रैड्रिक के पिता की मैन्चैस्टर में सूती कपड़ा बुनने की फैक्ट्री थी,जहाँ कार्ल ने फैक्ट्री के श्रमिकों की स्थिति को करीब से जाना। 1844 में उन्होंने अंग्रेजी श्रमिकों की दशा पर एक पुस्तक लिखी, तथ्यों के साथ उन्होंने अपना विख्यात शोधपत्र तैयार किया जो पूँजीवाद के विरोध में था।1847 में उन्होंने प्रसिद्ध कम्युनिस्ट मेनीफेस्टो की रचना की,जिसे 1848 की क्रांतियों की पूर्व संध्या पर प्रकाशित किया गया।इस मेनीफेस्टो के अंत में उन्होंने श्रमिकों का आह्वान करते हुये लिखा,श्रमिकों का उनकी बेड़ियों के अलावा कुछ नहीं खोयेगा, उन्हें विश्व पर विजय प्राप्त करनी है,दुनिया के श्रमिक एक हों। कार्ल मार्क्स ने ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर सिद्ध करने की कोशिश की ,कि पूँजीवादी समाज का विनाश तथा भविष्य में समाजवादी क्रांति की सफलता अवश्यंभावी है। कार्ल मार्क्स के विचार में ऐतिहासिक प्रक्रिया में प्राचीन समाज का आधार दासता, सामंतवादी समाज का आधार भूमि तथा मध्यवर्गीय समाज का आधार नकद पूँजी है ।यही उनकी इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या है। हीगल के द्बंद्बात्मवाद का प्रयोग कर कार्ल मार्क्स ने समाजवाद की अनिवार्यता प्रदर्शित की,हीगल का द्बंद्बात्मवाद विचार से जुड़ा था,कार्ल मार्क्स ने उसे भौतिक परिस्थितियों से जोड़ा। इस सिध्दांत से कार्ल मार्क्स ने निष्कर्ष निकाला कि सामंती जमींदारों केकृषक समाज का नगरीय मध्यवर्ग ने विनाश किया। कार्ल मार्क्स मौलिक रुप से एक दार्शनिक और अर्थशास्त्री थे,उनकी विश्व विख्यात रचना ,दास कैपीटल है,इसके अलावा उन्होंने कई पत्र और निबंध भी लिखे हैं। उनकी मृत्यु 1883 में हुई, कार्ल मार्क्स के लेख बड़े स्तर पर प्रकाशित हुये जिससे समाज वादी विचारों का विस्तार हुआ। 1864 में लंदन में अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी संघ की स्थापना हुई, यह संघ इतिहास में प्रथम इन्टरनेशनल के नाम से प्रसिद्ध है।